शिक्षक प्रशिक्षण

जय प्रकाश नारायण आश्रम पद्धति विद्यालय के अन्तर्गत कार्यरत सभी प्रकार के शिक्षिकों को निदेशालय स्तर पर एक हफ्ते की प्रशिक्षण व्यवस्था की जाती है और उनकी व्यावसायिक दक्षता में वृध्दि के लिए समय-समय पर ओरियेंटेशन कोर्स,रिफरेशर कोर्स,इनोवेशन कोर्स एवं प्रभावी ढंग से आयोजित किया जा रहा है ,जिससे शिक्षकों के शैक्षणिक दक्षता में वृध्दि एवं आधुनिक तकनीक शिक्षा पद्धतियों में ज्ञान में अभिवृद्धि हो|

विद्यालय शैक्षणिक कैलेंडर

यह विद्यालय के विकास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण अभिलेख है यह विद्यालय के कार्यो को प्रभावित ढंग से लागू करने के उद्देश्य से तैयार किया जाता है |यह सत्र के प्रारम्भ में शैक्षणिक/ सह-शैक्षणिक क्रियाओं एवं महत्वपूर्ण दिवसों /उत्सवों को एक निश्चित समय एवं निश्चित दिशा में संपन्न कराने का महत्वपूर्ण अभिलेख है |
नव सत्र को प्रारम्भ 1 अप्रैल से तथा 31 मार्च सत्र का अंतिम कार्य दिवस होगा |

परीक्षा कार्यक्रम

विद्यालयों में सम्बध्द परीक्षा बोर्ड द्वारा निर्देशित व्यवस्था के अनुसार इकाई,प्री-वार्षिक,अर्धवार्षिक व वार्षिक प्री-बोर्ड परीक्षा सम्पन्न करायी जाती हैं|

विद्यालयों के लिए निर्मित की गयी शैक्षिणिक क्रियाए तालिका के अनुसार की जाएगी जो निम्नवत है :

माह 6 से 9 कक्षाओं हेतु 10 व 12 कक्षाओं हेतु
प्रथम 10 प्रतिशत 18 से 20 जुलाई
द्वितीय 10 प्रतिशत 29 से 31 अगस्त
टर्म-1 30 प्रतिशत 20 से 30 सितम्बर
तृतीय 10 प्रतिशत 28 से 31 अक्टूबर
चतुर्थ 10 प्रतिशत 5 से 10 दिसम्बर
टर्म-2 30 प्रतिशत 05 से 15 मार्च

इसके अतिरिक्त प्रत्येक शनिवार को हर विषय के शिक्षण कालांश में संक्षिप्त टेस्ट सम्बंधित विषय शिक्षक द्वारा चक्रानुसार सम्पन्न कराया जायेगा |

छात्र प्रतिज्ञा (हिंदी)

भारत हमारा देश है| हम सभी भारतवासी भाई बहन है| हमें अपना देश प्राणों से भी प्यारा है| इसकी समृद्धि और विविध संस्कृति पर हमें गर्व है| हम इसके सुयोग्य अधिकारी बनने का प्रयत्न सदा करते रहेंगे| हम अपने माता-पिता, शिक्षकों एवं गुरुजनों का सदा आदर करेंगे तथा सब के साथ शिष्टता का व्यवहार करेंगे| हम अपने देश और देशवासियों के प्रति सदैव निष्ठावान रहने की प्रतिज्ञा करते है| उनके कल्याण एवं समृद्धि में ही हमारा सुख निहित है|

जय हिन्द

छात्र प्रतिज्ञा (अंग्रेजी में)

India is my country. All Indians are my brothers and sisters. I love my country and I am proud of its rich and varied heritage. I shall always strive to be worthy of it. I shall pay respect to my parents, teachers classmates and all elders and treat everyone with courtesy. To my country and my people, I pledge my devotion in their well being and prosperity alone lies my happiness.